महाराष्ट्र में शिवसेना की सरकार नहीं बन सकी है। राज्य में चर्चा है कि शिवसेना, एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना रही है। इस में कांग्रेस भी शामिल है। माना जा रहा है कि राज्य में सीएम, विधानसभा अध्यक्ष का कोटा तय हो गया है। वहीं इसके लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम भी तय कर लिया गया है। लेकिन अभी तक कांग्रेस आलाकमान ने शिवसेना के साथ गठबंधन को लेकर कोई फैसला नहीं किया है।
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की आज एनसीपी प्रमुख शरद पवार से महाराष्ट्र को लेकर बातचीत चल है। हालांकि मुंबई में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं की बैठक हो चुकी हैं। माना जा रहा कि सोनिया गांधी भी शिवसेना को समर्थन देने को लेकर संतुष्ट नहीं हैं। क्योंकि उन्हें डर लगता है कि अल्पसंख्यक वोट बैंक कांग्रेस से खिसक जाएगा। इसी बीच आज जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर महाराष्ट्र में शिवसेना को समर्थन नहीं देने की मांग की है।
महाराष्ट्र में शिवसेना की सरकार नहीं बन सकी है। राज्य में चर्चा है कि शिवसेना, एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना रही है। इस में कांग्रेस भी शामिल है। माना जा रहा है कि राज्य में सीएम, विधानसभा अध्यक्ष का कोटा तय हो गया है। वहीं इसके लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम भी तय कर लिया गया है। लेकिन अभी तक कांग्रेस आलाकमान ने शिवसेना के साथ गठबंधन को लेकर कोई फैसला नहीं किया है। हालांकि राज्य के ज्यातर कांग्रेस के विधायक राज्य में सरकार में शामिल होने की वकालत कर रहे हैं। विधायकों का कहना है कि महाराष्ट्र में सरकार में शामिल होना चाहिए और अगर कांग्रेस ऐसा नहीं करती हैं तो वह राज्य में खत्म हो जाएगी।
फिलहाल दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर एनसीपी प्रमुख की मुलाकात चल रही है। सोनिया की शरद पवार के साथ ये अहम बैठक है। क्योंकि आज सोनिया इस बैठक में अपना फैसला शिवसेना को बताएंगी। उधर आज जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख अरशद मदनी ने सोनिया गांधी को पत्र लिखा है। इस पत्र में कांग्रेस से महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए शिवसेना को समर्थन नहीं देने की गुजारिश की है।
मदनी ने अपने पत्र में लिखा कि है कि महाराष्ट्र की गंदी राजनीति की तरफ आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। उन्होंने लिखा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा कि आप शिवसेना को समर्थन दें। इससे कांग्रेस पार्टी को ही नुकसान होगा। असल में राज्य में हुए चुनाव में शिवसेना और भाजपा ने 105 और 56 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जबकि एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटों पर जीत हासिल की है। लेकिन शिवसेना ने भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने का फैसला किया है।