राफेल पर वायुसेना सरकार के साथ, एयर चीफ बोले- गेम चेंजर साबित होगा

By Ajit K Dubey  |  First Published Oct 3, 2018, 2:14 PM IST

एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने कहा, हमें अच्छा पैकेज मिला, हमें राफेल सौदे में कई फायदे मिले। ऑफसेट साझेदार चुनने के विकल्प विक्रेता कंपनी के पास था। 

राफेल लड़ाकू विमान को लेकर बढ़ते विवाद के बीच वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने कांग्रेस की ओर से लगाए जा रहे भ्रष्टाचार के आरोपों को एक तरह से खारिज कर दिया है। राफेल लड़ाकू विमान को भारतीय उपमहाद्वीप में वायुसेना के लिए ‘गेम चेंजर’ बताते हुए एयर चीफ मार्शल धनोआ ने कहा कि ऑफसेट साझेदार चुनने का विकल्प विक्रेता कंपनी के पास था। 

वायुसेना दिवस से पहले अपनी वार्षिक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए एयर चीफ मार्शल धनोआ ने कहा, भले ही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एचएएल अपने प्रोडक्शन टॉरगेट को हासिल करने में सफल रही है लेकिन उसने वायुसेना के सभी बड़े प्रोजेक्टों में चार से छह साल की देरी की है। इनमें सुखोई 30 विमानों को उत्पादन और अन्य अपग्रेड प्रोग्राम शामिल हैं। 

उन्होंने कहा, '2013 की रक्षा खरीद प्रक्रिया के अनुसार, खुद के लिए ऑफसेट पॉर्टनर का चयन करने का विकल्प ओईएम के पास होता था। इस मामले में दसॉल्ट ओईएम थी। दसॉल्ट एविएशन ने ऑफसेट साझेदार को चुना। सरकार तथा भारतीय वायुसेना की इसमें कोई भूमिका नहीं थी।'

वायुसेना प्रमुख से कांग्रेस पार्टी के उन आरोपों के बारे में पूछा गया था, जिनमें दावा किया गया है कि अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस राफेल सौदे में 60,000 करोड़ रुपये की ऑफसेट पार्टनर है। 

इन विमानों की उपयोगिता का जिक्र करते हुए वायुसेना प्रमुख ने कहा, ‘राफेल एक अच्छा लड़ाकू विमान है। यह उपमहाद्वीप के लिए गेम चेंजर साबित होगा। हमें एक अच्छा पैकेज मिला है, राफेल एयरक्रॉफ्ट में कई तरह की खूबियां हैं।’ 

प्रधानमंत्री मोदी ने तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति होलांदे के साथ 10 अप्रैल, 2015 को हुई वार्ता के बाद 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का ऐलान किया था। 

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जब वायुसेना प्रमुख से पूछा गया कि 126 विमानों की जरूरत थी तो 36 ही क्यों खरीदे गए, पूर्व के सौदे को क्यों रद्द कर दिया गया तो उन्होंने कहा, 'एचएएल और दसॉल्ट के बीच वार्ता में गतिरोध आने के बाद केवल तीन ही विकल्प बचे थे। कुछ होने का इंतजार करना, टेंडर वापस लेने का अनुरोध करना और आपातकालीन खरीद करना। हमने तीसरा विकल्प चुना। पूर्व में भी हमने दसॉल्ट के मिराज विमानों के दो स्क्वॉड्रन ही खरीदे थे।' 

1980 में पाकिस्तान के अमेरिका से एफ-16 लड़ाकू विमान खरीदने के बाद भारत द्वारा की गई आपातकालीन खरीद का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, भारत ने अलग-अलग विक्रेताओं से अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए मिराज, मिग-23 और मिग-29 के दो-दो स्क्वॉड्रन खरीदे थे। 

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