नेशनल हेराल्ड हाउस खाली करने के दिल्ली हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ एजेएल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में हाइकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई है। उसका कहना है कि हाइकोर्ट ने फैसला देते समय एजेएल द्वारा दिए गए दलीलों पर गौर नही किया है। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट हाइकोर्ट के फैसले पर रोक लगाए।
दिल्ली हाइकोर्ट ने नेशनल हेराल्ड बिल्डिंग को खाली करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने एजेएल की उस याचिका को खारिज कर दिया था। जो सिंगल बेंच के फैसले को डिवीजन बेंच में चुनौती दी गई थी। जिसके बाद संवंधित विभाग ने बिल्डिंग खाली करने को लेकर एजेएल को नोटिस दिया है।
मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि हेराल्ड हाउस को अखबार लाने के लिए दिया गया था, जबकि हेराल्ड हाउस में 2008 में ही अखबार का प्रकाशन बंद कर दिया गया और वहां के स्टाफ को वॉलेंटरी रिटायर्डमेंट देकर निकल दिया गया। ऐसे में जब वहां प्रकाशन का कोई काम ही नही हो रहा है तो सरकार के पास उस जगह के दुरुपयोग को रोकने के लिए लीज को रद्द कर देना चाहिए। इस बिल्डिंग में पासपोर्ट ऑफिस भी चल रहा है जिसका किराया एजेएल को जाता है।
वहीं एजेएल ने कोर्ट में अपने बचाव में कहा था कि हेराल्ड हाउस को खाली कराने का फैसला पूरी तरह से राजनीतिक है, केंद्र सरकार ने मनमानी से लीज को रद्द करने का फैसला लिया है।
एजेएल ने पिछले साल 21 दिसंबर के सिंगल बेंच के फैसले को डबल बेंच के सामने चुनौती दी थी। कोर्ट ने एजेएल की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उसने परिसर खाली करने जे केंद्र सरकार के 30 अक्टूबर के आदेश को चुनौती दी थी।
उसने कहा गया था कि दो हफ्ते के भीतर एजेएल परिसर खाली नही किया तो सरकार के केंद्र और भूमि एवं विकास कार्यालय एजेएल के खिलाफ सार्वजनिक परिसर कानून 1971 के तहत कार्रवाई कर सकता है।
नेशनल हेराल्ड कांग्रेस पार्टी का अखबार है। एलएनडीओ ने 30 अक्टूबर को एजेएल से कहा था कि उसका 56 साल पुराना पट्टा निरस्त किया जाता है लिहाजा वो 15 नवंबर तक हेराल्ड हाउस खाली कर दे।