फतवे में मुस्लिम समुदाय को निर्देश दिया गया है कि वह पीड़िता को न तो दवाइंया दे। न ही कोई उसकी मौत के बाद नमाज-ए-जनाजा पढ़ा जाए। यहां तक कि उसे मुस्लिम के कब्रिस्तान में दफनाने तक की मनाही है। सुप्रीम कोर्ट किसी व्यक्ति के खिलाफ फतवा जारी करने को पहले ही अवैध घोषित कर चुका है।
राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) तीन तलाक पीड़िता निदा खान के खिलाफ जारी फतवे की जांच करेगा। दिल्ली के वकील प्रवेश डबास इस मामले को एनसीडब्ल्यू के पास लेकर पहुंचे हैं। उनकी शिकायत महिला आयोग ने दर्ज कर ली है।
तीन तलाक के खिलाफ निदा खुद लड़ाई लड़ रही हैं। यह फतवा बरेली स्थित आला हज़रत दरगाह की ओर से जारी किया गया है। सोमवार को इमाम मुफ़्ती खुर्शीद आलम की ओर से जारी फतवे में निदा के पूरी तरह सामाजिक बहिष्कार की बात कही गई है। इसमें कहा गया है कि 'अगर कोई निदा खान की मदद करेगा तो उसे भी यही सजा झेलनी होगी। निदा से तबतक कोई मुस्लिम संपर्क नहीं रखेगा, जब तक वह सार्वजनिक तौर पर माफी नहीं मांग लेती और अपना इस्लाम विरोधी रुख नहीं छोड़ती।'
इस बीच, एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष (अतिरिक्त प्रभार) रेखा शर्मा ने 'माय नेशन' से कहा कि वह इस मामले की जांच कराएंगी।
वहीं प्रवेश डबास ने कहा, 'हमने मामले का संज्ञान लिया और खुद इसे महिला आयोग के पास ले गए। सुप्रीम कोर्ट किसी व्यक्ति के खिलाफ फतवा जारी करने की प्रथा को पहले ही अवैध घोषित कर चुका है।'
मुस्लिम मौलवी द्वारा जारी फतवे के अनुसार, 'निदा को कोई दवाई न दी जाए। न ही किसी को उसकी मौत के बाद नमाज-ए-जनाजा पढ़ने की इजाजत होगी। फतवे में पीड़िता को मुस्लिम कब्रिस्तान में दफनाने की जगह न दिए जाने की बात भी कही गई है।'
अपनी शिकायत में डबास ने पीड़िता के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का हवाला दिया है। उन्होंने कहा, 'इस फतवे से न सिर्फ पीड़िता को मूलभूत अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है, बल्कि यह दूसरी मुस्लिम महिलाओं के मन में भी भय और हिचक पैदा करने का प्रयास है। यह फतवा अपमानजनक और बदनाम करने वाला है।'