प्लास्टिक के बोतल और बहुस्तरीय प्लास्टिक पैकेज के प्रयोग को लेकर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण यानी एनजीटी ने कड़ा रुख अपनाया है। ट्रिब्यूनल ने इसके लिए समिति गठित करने को कहा है।
नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण यह जानना चाहता है कि पैकेजिंग में प्लास्टिक के इस्तेमाल को सीमित करने के लिए किसी विनियामक प्रावधान की जरूरत है कि नहीं और अगर है तो किस हद तक।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने भारतीये खाद्य सुरक्षा स्टैंडर्ड प्राधिकरण, भारतीय मानकीकरण ब्यूरो, केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड और स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक को विशेषज्ञों की एक समिति गठित कर इसकी जांच करने का आदेश दिया है। इसके लिए एफएसएसएआई को संयोजन के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है।
ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा है कि एजेंसी चाहे तो किसी भी अन्य विशेषज्ञ, संस्था या किसी व्यक्ति को शामिल कर सकती है। इस समिति से 3 महीने में रिपोर्ट देने को कहा गया है।
एनजीटी सॉफ्ट ड्रिंक, कार्बोनेटेड ड्रिंक और शराब एवं अन्य वस्तुओं की पैकेजिंग में प्लास्टिक बोतल और पर्यावरण पर संभावित प्रभाव को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रहा है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि तो इन पैकेजिंग मैटीरियल का स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ता है और इससे प्लास्टिक कचरे में भी वृद्धि होती है।
याचिकाकर्ता ने 29 सिंतबर 2014 को स्वाथ्य कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना को लागू करने की मांग की है। इस अधिसूचना में इन वस्तुओं की मैकेजिंग में प्लास्टिक बोतलों और बहुस्तरीय पैकेजिंग का इस्तेमाल नहीं करने की बात कही है और इस बारे में नए लेबल के पंजीकरण का निर्देश दिया था।