राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लेकर छात्रों ने राज्यपाल ओपी धनखड़ को घेरा और राज्यपाल जगदीप धनखड़ की कार के बाहर प्रदर्शन किया। राज्यपाल कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी थे। हालांकि इस बीच राज्यपाल ने उस सभागार में प्रवेश किया जहां पर दीक्षांत समारोह आयोजित किया जा रहा था।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में राज्यपाल और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच चल आ रही लड़ाई में अब पश्चिम बंगाल के कोलकाता यूनिवर्सिटी के छात्र भी शामिल हो गए हैं। कलकत्ता विश्वविद्यालय के छात्रों के एक वर्ग ने मंगलवार को कोलकाता में नजरुल मंच सभागार के बाहर नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन किया और राज्यपाल को कार्यक्रम में नहीं जाने दिया। इससे पहले राज्य के जाधवपुर यूनिवर्सिटी में भी छात्रों के एक गुट ने राज्यपाल का अपमान किया। माना जा रहा है कि इन विरोध प्रदर्शनों के बीच टीएमसी के छात्र संगठन की बड़ी भूमिका है।
राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लेकर छात्रों ने राज्यपाल ओपी धनखड़ को घेरा और राज्यपाल जगदीप धनखड़ की कार के बाहर प्रदर्शन किया। राज्यपाल कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी थे। हालांकि इस बीच राज्यपाल ने उस सभागार में प्रवेश किया जहां पर दीक्षांत समारोह आयोजित किया जा रहा था। लेकिन छात्र को गेट से बाहर सभागार तक सड़क पर लेट गए।
छात्रों ने कुलाधिपति और राज्य के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को 'रस्टिक' (गंवार) भी कहा। वहीं नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी भी छात्रों के विरोध के कारण अपनी कार में फंस गए थे, लेकिन बाद में उन्हें परिसर में प्रवेश करने की अनुमति दी गई। राज्यपाल को बनर्जी को कलकत्ता विश्वविद्यालय से मानद डी.लिट के साथ नोबेल पुरस्कार से सम्मानित करना था। लेकिन छात्रों ने उन्हें कार्यक्रम के लिए मंच पर जाने से रोक दिया। इसके बाद राज्यपाल कार्यक्रम से वापस लौट आए।
हालांकि इस कार्यक्रम के लिए विश्वविद्यालय ने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री को भी आमंत्रित किया था। लेकिन वह दोनों इस कार्यक्रम में नहीं पहुंचे। हालांकि इससे पहले ममता सरकार में राज्यपाल की गरिमा को ठेस पहुंचाई गई। राज्य के विधानसभा अध्यक्ष ने राज्यपाल को आमंत्रित किया और जब राज्यपाल वहां पर पहुंचे तो विधानसभा के गेट बंद कर दिए गए और बाद में बताया गया कि कार्यक्रम निरस्त कर दिया गया है। हालांकि ममता सरकार कई बार राज्य के पद की गरिमा को दरकिनार कर चुकी है।