अभी तक शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के नेताओं की आपस में बैठकें हो चुकी हैं। शिवसेना एनसीपी के जरिए कांग्रेस से बातचीत कर रही है। जबकि कांग्रेस भी इस मामले में ज्यादा तवज्जो एनसीपी को दे रही है। हालांकि न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तैयार हो गया है। अब इस पर तीनों दलों के नेताओं को अपनी सहमति देकर हस्ताक्षर करने हैं। लेकिन इस पूरे प्रकरण में अगर कोई पार्टी सबसे कमजोर हुई है तो वह शिवसेना है। क्योंकि भाजपा के साथ सरकार बनाकर शिवसेना को ज्यादा विभाग मिल सकते थे।