न्यायालय के फैसलों और टिप्पणियों को स्वीकार कर हमें मान लेना चाहिए कि पिछले सालों में हिन्दू आतंकवाद, भगवा आतंकवाद का जो मुहावरा गढ़ा गया उसके पीछे केवल राजनीतिक दुर्भावना काम कर रही थी। स्वामी असीमानंद सहित कर्नल पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा आदि उसी के शिकार थे। केन्द्र की यूपीए सरकार की पहल पर 26 जुलाई 2010 को मामला एनआईए को सौंपा गया था। स्वामी असीमानंद को उसके बाद में आरोपी बनाया गया।