असल में बीजेपी ने जिस तरह से पांच साल पहले अमेठी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ तैयारियां शुरू की थी, उसी तरह से अब वह रायबरेली में अपनी तैयारियों को अंजाम दे रही हैं। बीजेपी ये मानकर चल रही है कि भले ही अगले लोकसभा चुनाव पांच साल बाद होंगे, लेकिन रायबरेली में चुनाव के आसार कभी भी बन सकते हैं।
नई दिल्ली/लखनऊ। लोकसभा चुनाव में मिली प्रचंड जीत के बाद हालांकि उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा उपचुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। लेकिन इसी बीच पार्टी ने गांधी परिवार का गढ़ कहे जाने वाले रायबरेली में भी मिशन रायबरेली शुरू कर दिया है। जिस तरह से लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अमेठी में जीत दर्ज की है, उसी तरह से वह रायबरेली में अपना सिक्का जमाना चाहती है। बीजेपी ने रायबरेली में केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को सक्रिय किया है। क्योंकि स्मृति ने ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को गांधी परिवार के गढ़ अमेठी में जबरदस्त पटखनी दी थी।
असल में बीजेपी ने जिस तरह से पांच साल पहले अमेठी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ तैयारियां शुरू की थी, उसी तरह से अब वह रायबरेली में अपनी तैयारियों को अंजाम दे रही हैं। बीजेपी ये मानकर चल रही है कि भले ही अगले लोकसभा चुनाव पांच साल बाद होंगे, लेकिन रायबरेली में चुनाव के आसार कभी भी बन सकते हैं।
क्योंकि यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी रायबरेली में अपनी राजनैतिक विरासत को कभी भी प्रियंका गांधी को सौंप सकती हैं। क्योंकि सोनिया का स्वास्थ्य ठीक नहीं है और वह रायबरेली में ज्यादा सक्रिय नहीं हैं। जबकि प्रियंका पूरी तरह से रायबरेली में सक्रिय हैं। अगर देखें तो चुनाव के बाद से ही प्रियंका रायबरेली में और ज्यादा सक्रिय हुई हैं। जिसे भविष्य के संकेतों के तौर पर देखा जा रहा है। लिहाजा इसी को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने भी मिशन रायबरेली शुरू कर दिया है।
हालांकि पार्टी के नेता इस पर खुलकर नहीं बोल रहे हैं। लेकिन इसका जिम्मा पार्टी ने केन्द्रीय मंत्री और अमेठी से राहुल गांधी को हराने वाली स्मृति ईरानी को दिया है। स्मृति रायबरेली में उसी तरह से अपने को स्थापित कर रही हैं। जैसा उन्होंने अमेठी में किया था। अगर पिछले तीन दिनों की घटना देखें तो रायबरेली में स्मृति ईरानी ने कई कार्यक्रम आयोजित कराए और सरकारी अफसरों की बैठक ली।
इसके साथ ही वह जनता के कार्यक्रमों में भी शामिल हुई। इसके मतलब साफ है कि बीजेपी भविष्य की राजनीति को देखते हुए अभी से अपने मोहरे चल रही है। इस बार लोकसभा चुनाव में रायबरेली में सोनिया गांधी के जीत का अंतर काफी हो गया है। ये बिल्कुल वैसा ही जैसा अमेठी में 2014 के लोकसभा चुनाव में हुआ था। इस बार सोनिया और दिनेश सिंह के बीच जीत हार का अंतर महज 1.5 वोटों में सिमट गया है। लिहाजा बीजेपी मान रही है कि अभी से तैयारी करना का लाभ पार्टी को पहले विधानसभा चुनाव में मिलेगा और फिर लोकसभा चुनाव में।