नागरिकता कानून को लेकर एक तरफ गांधी परिवार और दूसरी तरफ सिब्बल, खुर्शीद, हुड्डा के बाद अब थरूर

नागरिकता संसोधन कानून को लेकर कांग्रेस को अपनों का ही सहारा नहीं मिल रहा है। कांग्रेस जबकि इस मुद्दे को लेकर आक्रामक है। देशभर में कांग्रेस नेता इस कानून का विरोध कर रहे हैं। लेकिन कांग्रेस में ही दूसरा धड़ा है जिसका मानना है कि कांग्रेस शासित राज्य और अन्य राज्यों के लिए इस कानून का विरोध करना आसान नहीं है। भले ही वह राज्यों में इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित ही क्यों न कर लें।

Gandhi family on one side and Sibal, Khurshid, Hooda and now Tharoor on the other side regarding the citizenship law

नई दिल्ली। नागरिकता संसोधन कानून को लेकर कांग्रेस ने पिछले कई दिनों ने आक्रामक तेवर अपनाए हुए हैं। लेकिन अब इस कानून को लेकर कांग्रेस में ही दो फाड़ हो गए हैं। एक तरफ से गांधी परिवार के लोग सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी इस कानून के लिए कांग्रेस शासित राज्यों से प्रस्ताव पारित करने के लिए दबाव बना रहे हैं। वहीं कांग्रेस में दूसरे गुट का मानना है कि इस कानून को राज्य सरकारें लागू करने से मना नहीं कर सकते हैं। जबकि कांग्रेस शासित राज्य पंजाब इसके लिए प्रस्ताव पारित कर चुका है और अन्य इसके लिए प्रस्ताव लाने वाले हैं।

Gandhi family on one side and Sibal, Khurshid, Hooda and now Tharoor on the other side regarding the citizenship law

नागरिकता संसोधन कानून को लेकर कांग्रेस को अपनों का ही सहारा नहीं मिल रहा है। कांग्रेस जबकि इस मुद्दे को लेकर आक्रामक है। देशभर में कांग्रेस नेता इस कानून का विरोध कर रहे हैं। लेकिन कांग्रेस में ही दूसरा धड़ा है जिसका मानना है कि कांग्रेस शासित राज्य और अन्य राज्यों के लिए इस कानून का विरोध करना आसान नहीं है। भले ही वह राज्यों में इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित ही क्यों न कर लें। बहरहाल कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री शशि थरूर ने साफ किया है कि राज्य सरकारें इस कानून को लागू करने से मना नहीं कर सकते हैं।

जबकि इससे पहले हरियाणा के सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा भी इस कानून को लेकर केन्द्र सरकार के पक्ष में बयान दे चुके हैं। जबकि शशि थरूर, हुड्डा, सिब्बल से पहले सलमान खुर्शीद भी मान चुके हैं कि राज्यों के लिए इस कानून को ना कहना आसान नहीं है। क्योंकि ये कानून संसद में पारित हुआ है और राज्य सरकारें इस कानून को मानने के लिए बाध्य हैं। हालांकि थरूर ने कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी एनआरसी को लागू करना केन्द्र सरकार के लिए आसान नहीं है। क्योंकि इसमें राज्यों की अहम भूमिका होगी और उनके बगैर केन्द्र सरकार इसे लागू नहीं कर सकेगा। वहीं थरूर ने कहा कि केंद्र के पास मानव संसाधन की कमी है। वहीं कांग्रेस नेता थरूर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सीएए पर रोक लगाने का आदेश नहीं दिया है। 

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