महाराष्ट्र के मंत्री अशोक चव्हाण ने आज राज्य में मराठा आरक्षण के मुद्दे पर गठित कैबिनेट उप समिति की बैठक बुलाई है। चव्हाण महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा गठित उप-समिति के प्रमुख हैं। इस कमेटी में कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे, बालासाहेब थोरात, विजय वडेट्टीवार और दिलीप वालसे पाटिल सदस्य हैं। मराठा आरक्षण कई वर्षों से महाराष्ट्र की राजनीति में एक विवादास्पद मुद्दा बना हुआ है।
मुंबई। महाराष्ट्र में महाठा समुदाय को आरक्षण के मामले में उद्धव ठाकरे सरकार की अहम बैठक होने जा रही है। राज्य सरकार ने इसके लिए एक समिति का गठन किया था। जिसमें महाराष्ट्र सरकार में शामिल तीन दलों के मंत्रियों को शामिल किया गया है। लिहाजा आज सबकी नजर इस बैठक पर लगी है। क्योंकि महाराष्ट्र में महाठा आरक्षण एक बड़ा मुद्दा है। जिसके लिए उद्धव ठाकरे सरकार किसी भी तरह की जोखिम नहीं लेना चाहती है।
महाराष्ट्र के मंत्री अशोक चव्हाण ने आज राज्य में मराठा आरक्षण के मुद्दे पर गठित कैबिनेट उप समिति की बैठक बुलाई है। चव्हाण महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा गठित उप-समिति के प्रमुख हैं। इस कमेटी में कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे, बालासाहेब थोरात, विजय वडेट्टीवार और दिलीप वालसे पाटिल सदस्य हैं। मराठा आरक्षण कई वर्षों से महाराष्ट्र की राजनीति में एक विवादास्पद मुद्दा बना हुआ है। क्योंकि कोई भी राजनैतिक दल महाराष्ट्र में इस वर्ग को नाखुश नहीं करना चाहता है।
क्योंकि राज्य में मराठाओं की खासी संख्या है और वह राज्य में किसी भी परिणाम को बदल सकते हैं। राज्य में देवेंद्र फड़नवीस के नेतृत्व वाली पिछली भाजपा सरकार ने मराठा समुदाय को 16 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए एक कानून पारित किया था। लेकिन उसको लेकर अन्य वर्गों को नाराजगी थी। जिसके बाद इसको कोर्ट में चुनौती दी गई। हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले को बरकरार रखा था, लेकिन शिक्षा में आरक्षण का प्रतिशत 12 प्रतिशत और नौकरियों में 13 प्रतिशत की कटौती की गई थी।
अब, याचिकाकर्ताओं के एक समूह द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है। हालांकि कोर्ट में जाने के बाद भी ये मुद्दा राज्य की उद्धव ठाकरे सरकार के लिए बड़ा मुद्दा बना हुआ है। क्योंकि कोर्ट का फैसला करना राज्य सरकार की मजबूरी है। वहीं अगर राज्य में मराठा आरक्षण लागू होता हो तो राज्य सरकार को इसके लिए सदन में प्रस्ताव लाना होगा। वहीं सुप्रीम कोर्ट के 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण पर रोक को देखते हुए मौजूदा आरक्षण के जरिए ही इस आरक्षण को राज्य में लागू करना होगा।