जानें क्यों उपचुनाव हार के बाद माया ने फिर भंग की सभी जिला इकाइयां

By Team MyNation  |  First Published Nov 7, 2019, 8:37 AM IST

लोकसभा चुनाव में मिली दस सीटों से गदगद मायावती ने पार्टी संगठन में फेरबदल किया था। लेकिन महज छह महीने में ही विधानसभा उपचुनाव में बसपा को करारी हार मिली है। पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई है वहीं अंबेडकरनगर की सीट में पार्टी को हार मिली है। यही नहीं रामपुर में पार्टी के प्रत्याशी की जमानत भी नहीं बची है। जिसके बाद मायावती ने फिर से संगठन में बदलाव किया है। 

लखनऊ। विधानसभा उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद बसपा अध्यक्ष मायावती ने बड़ा फैसला लिया है। मायावती ने संगठन में बड़ा बदलाव करते हुए सभी जिलों की कमेटियों को भंग कर दिया है। हालांकि अध्यक्ष के पद को छोड़ दिया गया है। जबकि राज्य को फिर से चार जोन में बांटा गया है।

लोकसभा चुनाव में मिली दस सीटों से गदगद मायावती ने पार्टी संगठन में फेरबदल किया था। लेकिन महज छह महीने में ही विधानसभा उपचुनाव में बसपा को करारी हार मिली है। पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई है वहीं अंबेडकरनगर की सीट में पार्टी को हार मिली है। यही नहीं रामपुर में पार्टी के प्रत्याशी की जमानत भी नहीं बची है। जिसके बाद मायावती ने फिर से संगठन में बदलाव किया है। मायावती ने जिलों में अध्यक्ष को छोड़ पूरी कमेटियों को भंग कर दिया है।

जोनल को-आर्डिनेटर की पुरानी व्यवस्था खत्म कर प्रदेश को फिर से चार सेक्टर में बांटकर इनके प्रभारी बनाये गए हैं। मायावती ने फिर से बूथ और सेक्टर में भी पांच साल पुरानी व्यवस्था को लागू किया है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में बसपा को 10 सीटें मिली थी। जबकि सपा को महज पांच सीटें मिली थी। लोकसभा चुनाव में मिली बड़ी जीत के बाद मायावती ने इसी के तर्ज पर विधानसभा उपचुनाव की तैयारियां शुरू कर दी थी।

क्योंकि पार्टी को लग रहा था कि सपा का मुस्लिम वोटबैंक बसपा की तरफ आया है। जिसके बाद मायावती ने पहली बार उपचुनाव लड़ने का फैसला किया था। यही नहीं मायावती ने सपा के साथ अपना गठबंधन भी तोड़ दिया था। जिसके बाद दोनों दल अलग अलग चुनाव लड़े। जिसमें सपा को तीन और भाजपा को आठ सीटें मिली। वहीं बसपा अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी। वहीं बसपा को सबसे बड़ा झटका अंबेडकरनगर जिले से लगा।

ये सीट बसपा के पास थी और इसे सपा ने उससे छिन लिया। फिलहाल बसपा ने यूपी को चार सेक्टर लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद और गोरखपुर में बांटा है। प्रदेश अध्यक्ष के पद पर पूर्व सांसद मुनकाद अली बने रहेंगे। हालांकि संगठन के तौर पर किसी भी पदाधिकारी को नहीं बदला गया है। 

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