असल में शिवसेना ने अपने रूख में बदलाव कर दिया है। क्योंकि राज्य में शिवसेना की अगुवाई में एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बनने की संभावना दिख रही है। ये तय है कि जिस कट्टर हिंदू राजनीति को लेकर शिवसेना आक्रामक थी। वह अब राज्य में दिखेगी। बल्कि शिवसेना कांग्रेस की सेक्युलर छवि के जरिए राज्य में सरकार चलाएगी। इसके लिए शिवसेना भाजपा पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। शिवसेना के मुखपत्र सामना में जेएनयू विवाद को लेकर केंद्र की मोदी सरकार को घेरा गया है।
मुंबई। महाराष्ट्र में अभी तक शिवसेना की अगुवाई वाली सरकार नहीं बन सकी। माना जा रहा है कि आज सरकार को लेकर कांग्रेस और एनसीपी स्पष्ट करेंगी। वहीं राज्य में सरकार बनने से पहले शिवसेना ने कांग्रेस और नेहरू प्रेम दिखाना शुरू कर दिया है। शिवसेना ने दिल्ली स्थित जेएनयू में फीस विवाद पर केन्द्र की मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। वहीं शिवसेना ने आरोप लगाया है कि केन्द्र की मोदी सरकार को नेहरू शब्द से आपत्ति है।
असल में शिवसेना ने अपने रूख में बदलाव कर दिया है। क्योंकि राज्य में शिवसेना की अगुवाई में एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बनने की संभावना दिख रही है। ये तय है कि जिस कट्टर हिंदू राजनीति को लेकर शिवसेना आक्रामक थी। वह अब राज्य में दिखेगी। बल्कि शिवसेना कांग्रेस की सेक्युलर छवि के जरिए राज्य में सरकार चलाएगी। इसके लिए शिवसेना भाजपा पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। शिवसेना के मुखपत्र सामना में जेएनयू विवाद को लेकर केंद्र की मोदी सरकार को घेरा गया है।
शिवसेना ने आरोप लगाया है कि छात्र अपने अधिकार के लिए लड़ रहे थे। लेकिन केंद्र सरकार ने छात्रों को हिंसक प्रदर्शन के लिए मजबूर किया। सामना में लिखा गया है कि केन्द्र सरकार को नेहरू नाम से ही चिढ़ है। फिलहाल राज्य में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की साझा सरकार बनने के आसार बढ़ते जा रहे हैं और इसी आधार पर शिवसेना का केन्द्र सरकार पर हमला भी बढ़ता जा रहा है। उधर शिवसेना ने सामना के आज के संस्करण में पहले तो जेएनयू छात्रों पर हुए लाठीचार्ज पर सवाल खड़े किए गये हैं।
इसके लिए सीधे तौर पर केन्द्र सरकार और बीजेपी दोनों को निशाने पर लिया गया है। शिवसेना ने आरोप लगाया है कि नेहरू नाम से ही वर्तमान सरकार का झगड़ा है जबकि जेएनयू ने अभिजीत बनर्जी जैसे नोबेल पुरस्कार विजेता दिए है। हालांकि ये तय है कि शिवसेना को सरकार बनाने के बाद अपने व्यवहार में बदलाव करना होगा। लिहाजा ये कोशिशें शिवसेना ने शुरू कर दी हैं।