फिर राज्यसभा में फेल हुई सोनिया की रणनीति, उपसभापति चुनाव में विपक्षी दलों को नहीं कर सकी एकजुट

असल में कांग्रेस ने भाजपा को घेरने के लिए संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी को उतारा  था। ताकि यूपीए के अलावा गैर एनडीए और गैर यूपीए दलों को साथ लाया जा सके और भाजपा को राज्यसभा में मात दी जा सके।

The strategy of Sonia failed in Rajya Sabha again

नई दिल्ली। राज्यसभा उपसभापति पद के चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की रणनीति फेल हुई है। सोनिया गांधी की अगुवाई में यूपीए ने विपक्ष का संयुक्त प्रत्याशी उतारा था। लेकिन विपक्षी दलों ने ही अपने प्रत्याशी को वोट नहीं दिए। वहीं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार हरिवंश नारायण सिंह ने राजद के मनोज झा को ध्वनि मतों से हराया। हरिवंश दूसरी बार इस पद के लिए चुने गए हैं। पिछली बार वह दो साल के लिए ही इस पद के लिए चुने गए थे। 

असल में कांग्रेस ने भाजपा को घेरने के लिए संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी को उतारा  था। ताकि यूपीए के अलावा गैर एनडीए और गैर यूपीए दलों को साथ लाया जा सके और भाजपा को राज्यसभा में मात दी जा सके। लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ये रणनीति विफल हो गई है। क्योंकि विपक्षी दलों ने ही यूपीए के संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी को वोट नहीं दिए। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के समूह ने आरजेडी नेता मनोज झा को संयुक्त उम्मीदवार बनाया था जबकि एनडीए ने जेडीयू नेता हरिवंश पर एक बार फिर दांव लगाया था। दोनों ही नेता बिहार से राज्यसभा सांसद हैं। हालांकि हरिवंश मूल रूप से यूपी के बलिया के रहने वाले हैं। हरिवंश पहरी बाल 2014 में राज्यसभा में पहुंचे थे और इसके बाद जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने उन्हें जेडीयू का महासचिव बनाया।

यूपीए ने बदला था प्रत्याशी

असल में कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए ने पहले डीएमके के प्रत्याशी को मैदान में उतारने का फैसला किया था। लेकिन बाद में प्रत्याशी को बदल दिया गया और  आरजेडी सांसद मनोज झा को उपसभापति के लिए मैदान में उतारा। वहीं भाजपा को जीतने के लिए महज 10 सदस्यों की जरूरत थी जबकि यूपीए के पास महज 79 सांसदों का समर्थन था। जबकि यूपीए की नजर गैर एनडीए और यूपीए पार्टियों पर नजर थी।
 

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