हंबनटोटा में चीन को जवाब, भारत करेगा श्रीलंकाई एयरपोर्ट का संचालन

 |  First Published Jul 6, 2018, 1:39 PM IST

श्रीलंका ने चीन के साथ मिलकर किया था निर्माण। कम फ्लाइटों के चलते कहा जाता है दुनिया का ‘सबसे सुनसान एयरपोर्ट’, रणनीतिक रूप से अहम है हंबनटोटा

रणनीतिक रूप से अहम श्रीलंका का हंबनटोटा बंदरगाह भले ही भारी कर्ज के चलते लीज पर चीन के पास चला गया हो लेकिन भारत ने इसी शहर में बने एक एयरपोर्ट के संचालन में बड़ी भागीदारी हासिल कर ली है। श्रीलंका सरकार घाटे में चल रहे मत्ताला अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का संचालन भारत को सौंपने की तैयारी में है। राजधानी कोलंबो से 241 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित इस एयरपोर्ट को दुनिया का ‘सबसे सुनसान एयरपोर्ट’ कहा जाता है। जल्द ही एक संयुक्त उपक्रम के तहत इसका संचालन भारत को सौंप दिया जाएगा। श्रीलंका के नागरिक उड्डयन मंत्री निमल श्रीपाला डिसिल्वा ने संसद में यह जानकारी दी है। खास बात यह है कि श्रीलंका ने चीन के साथ मिलकर इस एयरपोर्ट का निर्माण किया था। 
श्रीपाला के अनुसार, ‘‘हमें इस मरते एयरपोर्ट को बचाने की जरूरत है। यह 20 अरब रुपये के घाटे में चल रहा है।’’ मंत्री ने कहा कि इस अनुबंध की अंतिम शर्तों पर काम होना अभी बाकी है। हालांकि उन्होंने विपक्ष के उन आरोपों को खारिज कर दिया कि चीन को हंबनटोटा बंदरगाह का संचालन सौंपे जाने के एवज में इस एयरपोर्ट को भारत को दिया जा रहा है। ताकि दोनों महाशक्तियों को संतुष्ट किया जा सके। डिसिल्वा ने कहा, ‘‘सिर्फ भारत ने हमें मदद की पेशकश की है। अब हम संयुक्त उपक्रम को लेकर भारत से बातचीत कर रहे हैं।’’ 
मत्ताला एयरपोर्ट का नाम पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के नाम पर रखा गया है। उनके एक दशक लंबे शासन के दौरान शुरू होने वाले बड़े प्रोजेक्टों में से यह एक था। इसके निर्माण के लिए चीन से काफी बड़ा कर्ज लिया गया था। श्रीलंका ने 2013 में एयरपोर्ट का संचालन शुरू किया था। सुरक्षा कारणों और घाटे के चलते इस साल मई महीने से मत्ताला अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर सेवाएं रोक दी गईं। 
इस एयरपोर्ट पर एक साल में 10 लाख यात्रियों की आवाजाही को संभालने की क्षमता है। 2028 तक इसकी क्षमता 50 लाख यात्रियों, 50,000 टन माल और 6,250 एयर ट्रैफिक ऑपरेशन प्रतिवर्ष तक पहुंच सकती है। इस एयरपोर्ट के लाभ आधारित उपक्रम में बदलने के लिए वर्ष 2017 से श्रीलंका सरकार निवेशक तलाश रही थी। हालांकि उसे इसके संचालन, रखरखाव और देखभाल के लिए कोई प्रस्ताव नहीं मिला। (पीटीआई)
 

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