मायावती के साथ लोकसभा चुनाव लड़े अखिलेश यादव अब लेंगे ये बड़ा फैसला

By Harish Tiwari  |  First Published May 22, 2019, 2:26 PM IST

शिवपाल सिंह यादव से विवाद होने के बाद अखिलेश यादव ने पार्टी की कमान अपने हाथ में ले ली थी और खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुलायम सिंह यादव को संरक्षक के पद पर मनोनीत कर दिया था। इसके बाद अखिलेश यादव ने शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाते हुए नरेश उत्तम को अध्यक्ष नियुक्त किया था।

लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद उत्तर प्रदेश का सियासी तापमान तेजी से बदलने की उम्मीद की जा रही है। राज्य में बहुजन समाज पार्टी के साथ चुनाव लड़ने वाली समाजवादी पार्टी के मुखिया अब एक बड़ा राजनैतिक फैसला लेने जा रहे हैं। इस फैसला का असर समाजवादी पार्टी और यादव परिवार में भी देखने को मिलेगा।

अखिलेश यादव अब अपने चाचा और एसपी के बागी विधायक शिवपाल सिंह यादव को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाएंगे। अभी तक शिवपाल सिंह यादव को एसपी से बर्खास्त नहीं किया गया है और वह अभी तक विधानसभा में एसपी के सदस्य हैं। सूत्रों के मुताबिक कभी समाजवादी पार्टी का दिग्गज रहे शिवपाल सिंह यादव लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद पार्टी से बर्खास्त किए जाएंगे।

हालांकि शिवपाल सिंह यादव फिरोजाबाद से अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी(लोहिया) के सिंबल पर लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। शिवपाल सिंह यादव ने पिछले साल अपनी पार्टी का गठन किया था और इस साल उन्होंने लखनऊ में एक बड़ी राजनैतिक रैली कर समाजवादी पार्टी को चुनौती दी थी। इस रैली में मुलायम सिंह यादव और उनकी बहू अपर्णा यादव भी शामिल हुई थी।

शिवपाल सिंह यादव से विवाद होने के बाद अखिलेश यादव ने पार्टी की कमान अपने हाथ में ले ली थी और खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुलायम सिंह यादव को संरक्षक के पद पर मनोनीत कर दिया था। इसके बाद अखिलेश यादव ने शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाते हुए नरेश उत्तम को अध्यक्ष नियुक्त किया था। लेकिन पार्टी ने उन्हें विधायक के पद से बर्खास्त नहीं किया।

क्योंकि अखिलेश यादव अच्छी तरह से जानते थे कि शिवपाल को बर्खास्त करने का अर्थ उन्हें शहीद करने जैसा होगा। इस कदम से उनके पक्ष में पार्टी के भीतर लोगों में सहानुभूति उभरेगी। लिहाजा शिवपाल को विधायक के तौर पर बनाए रखने में अखिलेश को कोई दिक्कत नहीं थी। यही नहीं मुलायम सिंह ने भी अखिलेश यादव से इस तरह का कोई कदम न उठाने को कहा था। शिवपाल पिछले दो साल से पार्टी के बागी विधायक के तौर पर सदन में जा रहे हैं। न तो अखिलेश यादव और न ही पार्टी ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर उन्हें बर्खास्त करने को कहा।

लिहाजा लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने चाचा शिवपाल को बर्खास्त करेंगे। अखिलेश को इसी समय का इंतजार था। क्योंकि शिवपाल की पार्टी ने राज्य के सभी लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। जो सीधे तौर पर समाजवादी पार्टी के वोट बैंक नुकसान पहुंचाएंगे। लिहाजा नतीजों के बाद साफ हो जाएगा कि एसपी को शिवपाल की पार्टी ने कितना नुकसान पहुंचाया और इसके बाद उनके खिलाफ फैसला लेना आसान होगा। शिवपाल सिंह इटावा से समाजवादी पार्टी के विधायक हैं।
 

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