सांसदों की कमी के बाद जानें अब लोकसभा में किसकी कमी से जूझ रही है कांग्रेस

लोकसभा सदन में नेता विपक्ष का पद तो कांग्रेस से दूर चला गया है। इस बार भी ये दर्जा उसे नहीं मिल पाया है। जबकि 2014 में भी विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी विपक्ष के नेता का पद उसे नहीं मिल पाया था। इस बार भी कुछ ऐसा ही है। यही नहीं कांग्रेस के पास लोकसभा में ऐसे नेताओं का अकाल पड़ गया है जो विपक्ष की बात को दमदार तरीके से उठा सके। अभी तक कांग्रेस की तरफ से सबसे ज्यादा मुखर मल्लिकार्जुन खड़गे हुआ करते थे। लेकिन इस बार वह भी कर्नाटक से लोकसभा का चुनाव हार गए हैं। 

Congress facing leaders crisis in lok sabha, who could raise party voice in house

लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस जहां लोकसभा के भीतर सदस्यों की कमी से जूझ रही है, वहीं अब कांग्रेस को सदन में नेता भी नहीं मिल रहे हैं। क्योंकि चुनाव में कांग्रेस के ज्यादातर नेता चुनाव हार गए हैं। जिसके कारण उसे सदन में उसकी आवाज को उठाने वाला नेता नहीं मिल रहा है, जो आक्रामक तरीके से सत्ता पक्ष को कठघरे में खड़ा कर सके। हालांकि इसके लिए अभी शशि थरूर और मनीष तिवारी का नाम सबसे आगे चल रहा है, विपक्ष के मुद्दों को सदन में उठा सकते हैं।

लोकसभा सदन में नेता विपक्ष का पद तो कांग्रेस से दूर चला गया है। इस बार भी ये दर्जा उसे नहीं मिल पाया है। जबकि 2014 में भी विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी विपक्ष के नेता का पद उसे नहीं मिल पाया था। इस बार भी कुछ ऐसा ही है। यही नहीं कांग्रेस के पास लोकसभा में ऐसे नेताओं का अकाल पड़ गया है जो विपक्ष की बात को दमदार तरीके से उठा सके।

अभी तक कांग्रेस की तरफ से सबसे ज्यादा मुखर मल्लिकार्जुन खड़गे हुआ करते थे। लेकिन इस बार वह भी कर्नाटक से लोकसभा का चुनाव हार गए हैं। जबकि पिछले साल तक उपनेता के पद पर रहने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री है। वहीं मध्य प्रदेश से आने वाले वरिष्ठ नेता कमलनाथ राज्य के मुख्यमंत्री हैं। जबकि कई नेताओं ने तो हार की डर से चुनाव भी नहीं लड़ा।

पार्टी के पास इस बार दिक्कत ये है कि इस बार ज्यादातर नेता केरल, तमिलनाडू और पंजाब से हैं। लिहाजा सदन में हिंदी के साथ ही अंग्रेजी बोलने वालों कमी सदन में देखने को मिलेगी। केरल के सांसद शशि थरूर को नेता सदन के लिए पहला दावेदार माना जा रहा है। क्योंकि शशि अंग्रेजी के साथ ही हिंदी अच्छी बोलते हैं। हालांकि उनके खुले विचारों की वजह से वह कांग्रेस में ज्यादा पसंद नहीं किए जाते हैं।

वहीं इसके लिए पंजाब से चुने सासंद मनीष तिवारी का नाम भी चल रहा है। मनीष राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं और अंग्रेजी और हिंदी में अच्छी पकड़ रखते हैं। वह पहले भी सांसद रह चुके हैं। मनीष तिवारी की खास बात ये है कि उनकी मीडिया से भी अच्छे रिश्ते हैं और वह सूचना प्रसारण मंत्री रहे हैं और फिलहाल पार्टी के प्रवक्ता भी हैं। 

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