क्या आखिरी चरण से पहले ही टूट चुका है विपक्ष का मनोबल: देखिए पांच अहम संकेत

By Anshuman AnandFirst Published May 13, 2019, 2:40 PM IST
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लोकसभा चुनाव के सात चरणों में से छह चरण संपन्न हो चुके हैं। अब मात्र 19 मई को होने वाला आखिरी चरण का मतदान बाकी है। 23 मई को मतदान के परिणाम आने से पहले ही कुछ ऐसे संकेत मिलने लगे हैं, जिससे पता चल रहा है कि विपक्ष ने चुनाव खत्म होने से पहले ही हार मान ली है। आईए देखते हैं क्या हैं यह अहम संकेत:-

नई दिल्ली: छह चरण का मतदान संपन्न होने के बाद लोकसभा चुनाव 2019 की तस्वीर धीरे धीरे साफ होने लगी है। बीजेपी विरोधी विपक्षी खेमे से ऐसी खबरें आ रही हैं जिससे यह साफ हो रहा है कि हार के डर से वहां भगदड़ मचने लगी है। 

1.    यूपी के भदोही में प्रियंका गांधी से नाराज कांग्रेसियों का इस्तीफा

लोकसभा चुनाव के दौरान छठे चरण में यूपी के भदोही में मतदान हुआ। लेकिन इस दौरान वहां भारी घमासान देखा गया। यहां जिला कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष नीलम मिश्रा सहित कई कांग्रेसियों ने पार्टी छोड़ दी। उनका आरोप है कि कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने उनकी सरेआम बेइज्जती की। इससे नाराज होकर नीलम मिश्रा और उनके कई सहयोगियों ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। 

इन लोगों का आरोप है कि शुक्रवार को यहां हुई चुनावी सभा के बाद उन्होंने प्रियंका से शिकायत की थी कि भदोही से पार्टी के प्रत्याशी रमाकांत यादव लगातार जिला कांग्रेस कमेटी की उपेक्षा कर रहे हैं। यहां तक कि रैली में पार्टी पदाधिकारियों को घुसने तक नहीं दिया जा रहा है। 

इसपर प्रियंका गांधी ने कथित रुप से नीलम मिश्रा को सबके सामने डांटना शुरु कर दिया और कहा कि ‘अगर आप लोग अपमानित महसूस कर रहे हैं तो करते रहिए’। 

Bhadohi: Congress district president Neelam Mishra quit the party yesterday; said,"LS ticket was given to an outsider Ramakant Yadav who came from BJP. It was a huge blow for us. In a meeting we tried to talk to Priyanka Gandhi about it. But she got upset & said insulting things" pic.twitter.com/bzStwdLlyL

— ANI UP (@ANINewsUP)

2.    मिर्जापुर में अखिलेश यादव की रैली में जुटी नहीं भीड़

यूपी के ही मिर्जापुर में महागठबंधन के प्रमुख नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे। लेकिन वहां मौजूद भीड़ को देखकर अखिलेश यादव हताश हो गए। दरअसल 50 हजार की क्षमता वाले इस मैदान में सिर्फ दस हजार लोग ही जुट पाए थे। यानी जितनी उम्मीद की जा रही थी उसका पांचवा हिस्सा ही वहां आ पाया। यहां अखिलेश यादव के साथ महागठबंधन में शामिल आरएलडी के जयंत चौधरी भी पहुंचे थे। 

की बात करने वाले के नेता जी की रैली में जो आज हुई है उसका हाल ये है कि पूरी कुर्सियां भी नही भर पाई😥😥

क्या ऐसे महापरिवर्तन होगा?? pic.twitter.com/qre1PduUrl

— Chowkidar Anand (@MainiAnand)

हालांकि सपा के स्थानीय नेताओं ने भीड़ न जुटने का कारण भीषण गर्मी को बताया। लेकिन सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री को सुनने के लिए अगर लोग इकट्ठा नहीं हो रहे हैं। इसका मतलब तो साफ है कि आम जनता की उम्मीदें अखिलेश यादव और उनके महागठबंधन से टूट चुकी हैं। 

3.    मल्लिकार्जुन खड्गे के बयान से राज खुला: जीत के लिए नहीं लड़ रही है कांग्रेस 

लोकसभा चुनाव के दौरान जब रविवार को छठे चरण के वोट पड़ रहे थे, तभी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड्गे ने बेंगलुरु में यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि ‘अगर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 40 से कम सीटें मिलने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आकलन गलत साबित हुआ तो क्या वह दिल्ली के विजय चौक में फांसी लगा लेंगे।’

Mallikarjun Kharge, Congress in Kalaburagi: Wherever he goes, Modi keeps saying that Congress will not win 40 seats. Do you believe that? If Congress gets more than 40 seats, will Modi hang himself at Delhi's Vijay Chowk? pic.twitter.com/ti3uPIYqlV

— ANI (@ANI)

मल्लिकार्जुन खड्गे कर्नाटक के चिंचोली विधानसभा उपचुनाव के दौरान कांग्रेस उम्मीदवार सुभाष राठौड़ के समर्थन में प्रचार के दौरान यह बयान दिया। उनके बयान से यह स्पष्ट हो जाता है कि कांग्रेस केन्द्र में सरकार बनाने के लिए नहीं लड़ रही है। वह मात्र पिछली बार से ज्यादा सीटें लाकर अपनी इज्जत बचाना चाहती है। पिछली बार कांग्रेस को पूरे देश में मात्र 44 सीटें मिली थीं। 


4.    बड़े कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने वोट ही नहीं डाला

भोपाल सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह तो इतनी हताशा में दिखे कि छठे चरण के मतदान के दौरान उन्होंने अपने मताधिकार का प्रयोग ही नहीं किया। मात्र कुछ महीनों पहले राजनीति में आई साध्वी ने दो बार मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह को इतने कड़ा मुकाबले में डाल दिया कि वह भोपाल में बूथ मैनेजमेन्ट ही करते रह गए और अपना खुद का वोट नहीं डाल पाए। 

उन्होंने बयान दिया कि ‘मैं वोट डालने राजगढ़ नहीं पहुंच पाया, मुझे इसका खेद है। अगली बार मैं अपना नाम भोपाल में रजिस्टर करवाऊंगा’। 

Digvijaya Singh, Congress Lok Sabha candidate from Bhopal: Yes I couldn't go to vote to Rajgarh and I regret it. Next time I will register my name in Bhopal. pic.twitter.com/ewlpgBncmg

— ANI (@ANI)

दिग्विजय सिंह मतदान इसलिए नहीं कर पाए क्योंकि वह भोपाल लोकसभा सीट के मतदाता नहीं हैं। उनका नाम मध्यप्रदेश के राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले उनके पैतृक कस्बे राघोगढ़ में पंजीबद्ध है। उनका नाम भोपाल की मतदाता सूची में है ही नहीं इसलिए वह मतदान ही नहीं कर पाए। हालांकि उनकी पत्नी अमृता राय ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। जानिए वोट डालने से कैसे चूक गए दिग्गी राजा
दिग्विजय सिंह चाहते तो अपनी पत्नी की तरह भोपाल की मतदाता सूची में अपना नाम डलवा कर वोट डाल सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, जो कि विपक्षी खेमे में फैली हताशा को दिखाता है। 
 

5.    ममता बनर्जी का केन्द्रीय बलों पर दोषारोपण

आम तौर पर देखा जाता है कि चुनाव के दौरान किसी भी नेता को जब अपनी हार का डर सताने लगता है तो वह चुनाव आयोग, सुरक्षा बलों पर दोष लगाने लगता है। छह चरण का मतदान संपन्न होने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी कुछ ऐसा ही करती हुई दिख रही हैं। 

पश्चिम बंगाल के दक्षिण परगना जिले में बसंती इलाके में प्रचार के लिए पहुंची ममता बनर्जी ने बयान दिया कि ‘मुझे शक है कि आरएसएस कार्यकर्ताओं को वर्दी पहनाकर पश्चिम बंगाल में भेजा जा रहा है’।

ममता बनर्जी ने साफ तौर पर केन्द्रीय सुरक्षा बलों की संविधान के प्रति प्रतिबद्धता पर सवाल उठाया और कहा कि ‘मैं केंद्रीय बलों का अपमान नहीं कर रही।लेकिन उन्हें मतदाताओं को प्रभावित करने का निर्देश दिया गया है। पश्चिम बंगाल में केंद्रीय बलों की नियुक्ति करने के नाम पर बीजेपी जबरन आरएसएस और बीजेपी कार्यकर्ता को यहां भेज रही है’।

यही नहीं यह बयान देने के दौरान ममता ने तृणमूल कांग्रेस के उपद्रवी कार्यकर्ताओं को अपने ‘भाई’ बताते हुए उनका बचाव भी किया। उन्होंने कहा कि ‘आज केंद्रीय बलों ने एक केंद्र में गोली चलाई।  मैंने सुना कि अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाला मेरा एक भाई घायल हो गया’। दरअसल ममता बनर्जी घाटल निर्वाचन क्षेत्र की उस घटना का जिक्र कर रही थीं, जिसमें बीजेपी प्रत्याशी भारती घोष की सुरक्षा का प्रभार संभाल रहे केंद्रीय बलों के अधिकारियों की गोलीबारी में तृणमूल कांग्रेस का एक कार्यकर्ता घायल हो गया था। 

इस तरह साफ तौर पर देखा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश हो या मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल हो या फिर कर्नाटक, हर तरफ विपक्ष के नेताओं ने अलग अलग तरीके से इस तरह के बयान दिए, जिनसे उनकी हताशा साफ झलक रही है। 
ऐसे में सात चरणों का मतदान संपन्न हो जाने के बाद 23 मई को ईवीएम से क्या नतीजे निकलकर आएंगे इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।   
 

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