शिवराज सिंह ने किया पहला कैबिनेट विस्तार, पांच मंत्रियों ने ली शपथ

By Team MyNation  |  First Published Apr 21, 2020, 2:37 PM IST

शिवराज सिंह चौहान के कैबिनेट में पांच लोगों को जगह दी गई है। हालांकि सिंधिया  की तरफ से पांच नेताओं को जगह देने की मांग की जा रही थी। लेकिन भाजपा ने उनके दो ही सहयोगियों को जगह दी है। गौरतलब है कि कांग्रेस से छह विधायकों ने इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थामा था और इसमें  छह मंत्री थे। 

भोपाल। मध्य प्रदेश की एक महीने पुरानी शिवराज सिंह सरकार ने राज्य में पहला कैबिनेट विस्तार किया है। शिवराज सिंह ने कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए छोटा विस्तार किया है। ताकि राज्य में जरूरी कार्यों में सहयोगियों के साथ निपटाया जा सके। शिवराज कैबिनेट में ज्योतिरादित्य सिंधिया को सम्मान देते हुए उनके दो सहयोगियों को कैबिनेट में जगह दी है।

शिवराज सिंह चौहान के कैबिनेट में पांच लोगों को जगह दी गई है। हालांकि सिंधिया  की तरफ से पांच नेताओं को जगह देने की मांग की जा रही थी। लेकिन भाजपा ने उनके दो ही सहयोगियों को जगह दी है। गौरतलब है कि कांग्रेस से छह विधायकों ने इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थामा था और इसमें  छह मंत्री थे। ये छह मंत्री कमलनाथ सरकार में विभिन्न पदों पर थे। लिहाजा सिंधिया चाह रहे थे इन्हें कैबिनेट में शामिल कर उनके सम्मान को बरकरार रखा जाए।

लेकिन भाजपा आलाकमान ने मौजूदा संकट को देखते हुए कैबिनेट में कम ही मंत्रियों को जगह देने की बात कही और लिहाजा कैबिनेट को छोटा रखा। इसमें तीन मंत्री भाजपा विधायक हैं। जिन्होंने राज्य में शिवराज सिंह की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई। शिवराज कैबिनेट में नरोत्तम मिश्रा (ब्राह्मण), तुलसीराम सिलावट (अनुसूचित जाति), गोविंद सिंह राजपूत (ठाकुर), मीना सिंह (अनुसूचित जनजाति) और कमल पटेल (ओबीसी) को शामिल किया गया है। नरोत्तम मिश्रा को शिवराज का करीबी माना जाता है और राज्य में सरकार बनाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई और कांग्रेस में सेंध लगाने में सिंधिया की मदद की।

 हालांकि माना जा रह है कि राज्य में अगला विस्तार राज्यसभा चुनाव के बाद होगा। लेकिन इसमें सिंधिया समर्थकों को जगह दी जाएगी। क्योंकि राज्य में उपचुनाव होने हैं। ये उपचुनाव सिंधिया समर्थकों के इस्तीफे देने के बाद खाली सीटों पर होने हैं। लिहाजा भाजपा का पूरा फोकस ज्यादा से ज्यादा सीटों को जीतने को लेकर है। क्योंकि चुनाव में इन बागी विधायकों को जनता के दरबार में जाना है।
 

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