क्या बगावत के बाद भी 'दादा' का एनसीपी में रूतबा रहेगा बरकरार

मंगलवार की शाम को महाराष्ट्र में राजनैतिक महाभारत की समाप्ति हुई। बहुमत न होने के कारण भाजपा सरकार को एक बार फिर इस्तीफा देना पड़ा और अब राज्य में शिवसेना की अगुवाई में सरकार बनने जा रही है। पिछले चार दिन चल घटनाक्रम राज्य में पावर परिवार के इर्दगिर्द घूमते रहे। जहां अजित पवार ने पार्टी से बगावत कर भाजपा को समर्थन देकर सबको चौंका दिया था वहीं चौंकाने वाली बात ये थी कि बगावत के बावजूद एनसीपी ने उनके खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नहीं की। 

Will Dada's status in NCP continue despite rebellion

मुंबई। पिछले तीन चार दिनों के भीतर पूरा पावर परिवार महाराष्ट्र में गुरुत्वाकर्षण का केन्द्र बना हुआ था। एनसीपी से बगावत कर अजित पवार यानी दादा भाजपा के लिए सरकार बनाने के खेवरहार बनें थे तो पवार विपक्षी दलों को एकजुट कर शिवसेना की सरकार बना रहे थे। अजित पवार ने पार्टी से बगावत कर भाजपा की सरकार बनाई लेकिन महज कुछ ही घंटों में उन्होंने एनसीपी में वापसी कर भाजपा की सरकार को गिरा दिया। लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या अजित अजित पवार को पार्टी के भीतर वही रूतबा मिलेगा। जो किसी दौर में हुआ करता है और तब जब राज्य में पार्टी सत्ता में वापसी कर रही है।

Will Dada's status in NCP continue despite rebellion

मंगलवार की शाम को महाराष्ट्र में राजनैतिक महाभारत की समाप्ति हुई। बहुमत न होने के कारण भाजपा सरकार को एक बार फिर इस्तीफा देना पड़ा और अब राज्य में शिवसेना की अगुवाई में सरकार बनने जा रही है। पिछले चार दिन चल घटनाक्रम राज्य में पावर परिवार के इर्दगिर्द घूमते रहे। जहां अजित पवार ने पार्टी से बगावत कर भाजपा को समर्थन देकर सबको चौंका दिया था वहीं चौंकाने वाली बात ये थी कि बगावत के बावजूद एनसीपी ने उनके खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नहीं की। जिसके बाद पावर परिवार ने अजित पवार पर दबाव बनाया और उनकी पार्टी में सकुशल वापसी कराकर पार्टी में टूट को रोका।

महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना रही हैं। जिसमें फिलहाल एनसीपी के 12 से ज्यादा विधायक कैबिनेट में शामिल होंगे। क्या इसमें बागी अजित पवार को भी शामिल किया जाएगा। ये एक बड़ा सवाल है। क्योंकि पार्टी ने पहले ही अजित पवार को रूतबे वाले पद संसदीय दल के नेता से हटा दिया है। वहीं उपमुख्यमंत्री के दौर पर उनका नाम भी शामिल नहीं है। लिहाजा अब अजित पवार के रूतबे को लेकर कई सवाल किए जा रहे है। असल में अजित पवार के साथ मिलकर बगावत करने वाले धनंजय मुंडे ने बागी होने के बाद से ही शुरूआत में ही पार्टी में वापसी कर ली थी।

जिसके बाद वह पार्टी में मजबूत होकर उभरे। फिलहाल राज्य में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे 28 नवंबर को मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे। इसमें उनके साथ ही कांग्रेस और एनसीपी के उपमुख्यमंत्री की शपथ लेंगे। लेकिन इसमें अजित पवार का नाम शामिल नहीं है। हालांकि परिवार के खातिर अजित पवार पार्टी में लौट आए हैं। लेकिन अजित पवार और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के बीच चल रहे छत्तीस के आंकड़े में अजित कमजोर हुए हैं।

क्योंकि पार्टी ने उन्हें मना तो लिया है। लेकिन अजित को आने के बाद जिस तरह के सुले परिवार सक्रिय हुआ था। ये माना जा रहा कि आने वाले दिनों में सुप्रिया सुले की राज्य की राजनीति में दखल बढ़ेगा। जिसका सीधेतौर पर एनसीपी की राजनीति में वह सक्रिय होंगी और इससे अजित पवार कमजोर होंगे।

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