दिल्ली में नई सरकार, पर रह सकती है पुरानी कैबिनेट

Published : Feb 13, 2020, 06:27 AM ISTUpdated : Feb 13, 2020, 07:30 AM IST
दिल्ली में नई सरकार, पर रह सकती है पुरानी कैबिनेट

सार

माना जा रहा है कि आप सरकार कैबिनेट में संगठन से ज्यादा लोगों के पक्ष में नहीं है और मंत्रियों के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें बाद में शामिल किया जाएगा। पार्टी का मानना है कि निवर्तमान कैबिनेट के मंत्रियों ने अच्छा काम किया है लिहाजा नए लोगों को कैबिनेट में शामिल करने की जरूरत नहीं होगी। कैबिनेट में अरविंद केजरीवाल के साथ ही मनीष सिसोदिया ,सत्येंद्र जैन, गोपाल राय, राजेंद्र पाल गौतम, इमरान हुसैन और कैलाश गहलोत को शुरूआत में शामिल किया जाएगा।

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी की नई सरकार दिल्ली में बनने जा रही है। आप संयोजक अरविंद केजरीवाल 16 फरवरी को रामलीला मैदान में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। माना जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल के नए मंत्रिमंडल में नए चेहरों के आने की संभावना ज्यादा नहीं है और छह पूर्व मंत्रियों फिर से कैबिनेट में जगह मिलने की उम्मीद की जा रही है।

हालांकि नए कैबिनेट में ऑक्सफोर्ड-शिक्षित आतिशी और पार्टी के एक प्रमुख युवा चेहरे राजीव चड्ढा को शामिल किए जाने की भी अटकलें हैं। माना जा रहा है कि आप सरकार कैबिनेट में संगठन से ज्यादा लोगों के पक्ष में नहीं है और मंत्रियों के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें बाद में शामिल किया जाएगा। पार्टी का मानना है कि निवर्तमान कैबिनेट के मंत्रियों ने अच्छा काम किया है लिहाजा नए लोगों को कैबिनेट में शामिल करने की जरूरत नहीं होगी।

कैबिनेट में अरविंद केजरीवाल के साथ ही मनीष सिसोदिया ,सत्येंद्र जैन, गोपाल राय, राजेंद्र पाल गौतम, इमरान हुसैन और कैलाश गहलोत को शुरूआत में शामिल किया जाएगा। वहीं अभी तक शिक्षा, वित्त, पर्यटन, महिला और बाल विकास विभाग को संभाल रहे सिसोदिया को यही विभाग दिए जा सकते हैं जबकि सत्येन्द्र जैन के पहले की तरह पीडब्ल्यूडी, स्वास्थ्य और उद्योग विभागों के काम देखने की उम्मीद की जा रही है।

दिल्ली जीत के बाद पार्टी अब अन्य राज्यों पर फोकस कर रही है और इसके लिए वह उन राज्यों में फोकस कर रही है जहां उसका संगठन कमजोर है। गौरतलब है कि इस साल बिहार और अगले साल पश्चिम बंगाल और असम में विधानसभा चुनाव होने हैं। लिहाजा पार्टी दिल्ली के संगठन मॉडल को इन राज्यों में लागू करना चाहती है। गौरतलब है कि दिल्ली में आप ने विधानसभा की कुल 70 सीटों में से 62 जीतीं, जबकि भाजपा ने आठ सीटें जीतीं। लेकिन कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला है।
 

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